नई दिल्ली,  देश का कानून हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। इसके अलावा सरकार की दर्जनों योजनाएं हैं, जो बच्चों की शिक्षा, पोषण और सुरक्षा की बात करती हैं। लेकिन एक ऐसा वर्ग भी है, जिसके बच्चों को ये लाभ उस तरह नहीं मिल पाते जैसे मिलने चाहिए। यह वर्ग है जेल में बंद महिला कैदियों के बच्चों का। राष्ट्रीय बाल आयोग ने देश की जेलों में बंद महिला कैदियों के बच्चों की शिक्षा की स्थिति पर जो रिपोर्ट दी है, 


राष्ट्रीय बाल आयोग ने गरीब वर्ग की महिला कैदियों के बच्चों को कमजोर और वंचित वर्ग में शामिल करने की सिफारिश की है और इसके लिए राज्यों के शिक्षा विभाग से आरटीई (मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) नियमों में जरूरी बदलाव करने की संस्तुति की है। यह संस्तुति बाल आयोग ने मंगलवार को केंद्र और राज्यों को भेजी अपनी रिपोर्ट में की है। आयोग ने वंचित वर्ग में आने वाले इन बच्चों के कल्याण के लिए राज्य सरकारों से सिफारिश की है कि राज्य जेल मैनुअल्स को नेशनल माडल प्रिजन मैनुअल 2016 में दिए गए प्रविधानों के अनुरूप किया जाए। खास बात यह है कि यह कानून निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करने की बात करता है।

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