चंडीगढ़, राज्य में कोविड मामलों की बढ़ती रफ़्तार के मद्देनज़र मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को 30 अप्रैल तक राजनैतिक जमावड़ों पर पूर्ण पाबंदी लगाने के हुक्म
दिए हैं और कहा है कि इसका उल्लंघन करने वाले समेत राजनैतिक नेताओं पर डी.एम.ए. और महामारी (एपीडैमिक्स) एक्ट के अंतर्गत मुकद्मे दर्ज किये जाएंगे। मुख्यमंत्री ने रात को 9 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ़्यू, जोकि अभी तक 12 जिलों तक ही सीमित था, का दायरा बढ़ाते हुए इसको पूरे राज्य में लागू करने का ऐलान किया है और इसके साथ ही अंतिम संस्कार /विवाह के समय होने वाले अंदरूनी जमावड़ों के लिए व्यक्तियों की संख्या 50 और बाहरी जमावड़ों के लिए यह संख्या 100 तक सीमित करने के भी हुक्म दिए हैं।
सरकारी मुलाजिमों के लिए दफ़्तरी समय के दौरान मास्क पहनना लाज़िमी करार दिया गया है। यह नयी पाबंदियाँ पहले लगाईं गई पाबंदियाँ, जिनमें स्कूलों और शिक्षा संस्थाओं को बंद करना शामिल है, समेत 30 अप्रैल तक लागू रहेंगी। परन्तु मॉलों में स्थित दुकानों के दुकानदारों को कुछ राहत दी गई है क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा हर दुकान में किसी भी समय 10 व्यक्तियों को दाखि़ल होने की इजाज़त दी गई है जबकि पहले किसी भी मॉल में एक ही समय में 100 से अधिक व्यक्तियों को दाखि़ल होने की इजाज़त नहीं थी। इसका अर्थ यह है कि किसी भी समय 20 दुकानों वाले मॉल में 200 व्यक्ति दाखि़ल हो सकते हैं।
कोविड की स्थिति की साप्ताहिक समीक्षा करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य में पॉज़िटिविटी और मृत्यु दर में वृद्धि पर चिंता ज़ाहर की। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि पंजाब में 85 प्रतिशत से अधिक मामले यू.के. के वायरस वाले हैं जोकि ज़्यादा तेज़ी से फैलता है और ज़हरीला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास कोविड मामलों में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के अलावा अन्य कोई और रास्ता नहीं था। हालाँकि, पहले लगाईं गई पाबंदियों के कारण बीते कुछ दिनों के दौरान पॉज़िटिव मामलों की संख्या में कुछ स्थिरता आई है। उन्होंने कहा कि उनको राजनैतिक जमावड़ों पर पाबंदी लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि राजनैतिक दलों को ऐसे जलसे करने से मना करने के लिए उनके द्वारा की गई अपीलों को नज़रअंदाज कर दिया गया बावजूद इसके कि कांग्रेस पार्टी ने अपने तौर पर पहले ही बीते महीने इस फ़ैसले का ऐलान कर दिया था कि पार्टी द्वारा कोई भी रैली सार्वजनिक मीटिंग नहीं की जायेगी।
कुछ राजनैतिक नेताओं जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल शामिल हैं जिन्होंने बिना सुरक्षा उपायों का ख़्याल रखे राजनैतिक रैलियों में सम्मिलन किया है, के व्यवहार पर हैरानी प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा व्यवहार करना इन नेताओं को शोभ नहीं देता। मुख्यमंत्री ने कहा, ’’आप लोगों से बीमारी के फैलाव के प्रति गंभीर होने की उम्मीद कैसे कर सकते हो यदि सीनियर राजनैतिक नेता ही इस तरह का व्यवहार करेंगे।’’ उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार को एसीं उल्लंघनाओं के प्रति सख़्त रूख अपनाना पड़ेगा और ऐसा करने वाले राजनैतिक नेताओं पर भी मामले दर्ज करने पड़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने पुलिस और ज़िला प्रशासनों को राजनैतिक जलसा करने वालों, हिस्सा लेने वालों और राजनैतिक नेताओं के खि़लाफ़ डी.एम.ए. और महामारी एक्ट के अंतर्गत मामले दर्ज करने के हुक्म दिए और इसके साथ ही टैंट हाऊस मालिकों खि़लाफ़ भी ऐसा करने के हुक्म दिए, जोकि ऐसे ज्मावड़ों के लिए सामान मुहैया करवाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे जमावड़ों के लिए स्थान मुहैया करवाने वालों को भी बक्शा नहीं जायेगा और उन पर भी मामले दर्ज करते हुए उनके द्वारा मुहैया किये गए स्थान को तीन महीनों के लिए सील कर दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 30 अप्रैल तक किसी भी तरह के सामाजिक, संस्कृतिक या खेल जमावड़ों और इससे सम्बन्धित समागमों की इजाज़त बिल्कुल नहीं दी जायेगी। सभी सरकारी दफ्तरों में व्यक्तिगत तौर पर लोगों की शिकायतों के निपटारे पर पाबंदी लगाते हुए इस मकसद के लिए आनलाइन और वर्चुअल तरीके अपनाने पर ज़ोर दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी सरकारी मुलाजिमों के लिए यह ज़रूरी होगा कि दफ़्तरी समय के दौरान लाज़िमी तौर पर मास्क डाल कर रखें।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि आम लोगों को भी सिर्फ़ ज़रूरी सेवाओं के लिए ही सरकारी दफ्तरों में जाने के लिए कहा जायेगा और सम्बन्धित विभागों के द्वारा रजिस्टरियों आदि के रोज़मर्रा के कामों के लिए मुलाकात का समय सीमित संख्या में ही दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिनेमा फ़िल्हाल के अपने कुल सामर्थ्य के 50 प्रतिशत तक ही अपनी कार्यवाही चलाएं और मैडीकल और नर्सिंग कालेजों को छोड़ कर बाकी स्कूलों और शिक्षा संस्थानों के बंद रहने के हुक्म 30 अप्रैल तक कायम रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता को निर्देश दिए कि नाइट कर्फ़्यू की सख्ती से पालना यकीनी बनाई जाये।
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