शुरू में अमेरिका ने कच्चा माल देने में आना-कानी की, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच 26 अप्रैल को हुई फोन पर बातचीत के बाद अमेरिका मान गया और वह वैक्सीन के लिए कच्चा माल भेजने से लेकर ऑक्सीजन जेनेरेशन सिस्टम समेत कई चीजों की आपूर्ति करने को तैयार हो गया। उम्मीद की जा रही है कि इस सप्ताह और कई विमानों के जरिए अधिक उपकरणों और सामानों की आपूर्ति की जाएगी।
अमेरिका की ओर से यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया, जब उसकी भारत को वैक्सीन के लिए कच्चा माल न देने पर आलोचना हुई। भारत को रूस और यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य देशों ने मदद का ऐलान किया, इसके बाद अमेरिका की आंख खुली और वह भी भारत को उसके किए का एहसान चुकाने को तैयार हो गया। बता दें कि अमेरिकी मदद से भारत में ऑक्सीजन की आपूर्ति में बड़ी मदद मिलेगी, साथ ही वैक्सीनेशन की रफ्तार भी तेज हो पाएगी, क्योंकि कच्चा माल भी वहां से मिल रहा है।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के अनुसार, अमेरिका ने कोविशील्ड वैक्सीन के भारतीय निर्माण के लिए आवश्यक जरूरी कच्चे माल की पहचान की है जो तुरंत भारत के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। भारत में फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स को बचाने और कोरोना मरीजों के इलाज के लिए जरूरी वेंटिलेटर्स, पीपीई किट्स, रेपिड डायगनॉस्टिक टेस्ट किट्स आदि भी तुरंत मुहैया करवाई जाएंगी। साथ ही अमेरिका भारत को तुरंत ऑक्सीजन जेनरेशन और उससे जुड़ी सप्लाई को देने के लिए विकल्पों पर काम कर रहा है।
बता दें कि अमेरिका के अलावा, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, बेल्जियम, रोमानिया, लक्समबर्ग, सिंगापुर, पुर्तगाल, स्वीडन, न्यूजीलैंड, कुवैत और मॉरीशस सहित कई प्रमुख देशों ने भारत को महामारी से लड़ने में मदद करने के लिए मेडिकल सहायता की घोषणा की है। सिंगापुर ने मंगलवार को भारत को 256 ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की।
नॉर्वे सरकार ने भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की मेडिकल सेवा के लिए 24 लाख अमेरिकी डॉलर के योगदान का ऐलान किया। स्विटज़रलैंड ने बुधवार को कहा कि वह कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न "चुनौतीपूर्ण समय" से निपटने में मदद करने के लिए भारत को ऑक्सीजन सांद्रक, वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सा उपकरण भेज रहा है। इसके अलावा कई अन्य देशों ने भी वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सांद्रक और अन्य सामान भेजने की घोषणा की है।
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